पक्षियों की आबादी पर नजर रखने के लिए टैग का उपयोग
एक सरकारी अधिकारी भोई ने बताया कि संभवत: पहली बार छत्तीसगढ़ में जीपीएस ट्रांसमीटर से लैस लंबी दूरी का प्रवासी पक्षी देखा गया है। डी ला रीयूनियन विश्वविद्यालय के प्रोफेसर द्वारा टैग किए जाने के बाद यह भारत में पहली बार देखा गया है। उन्होंने बताया कि प्रोफेसर द्वारा पक्षी का नाम ‘मेरलीन’ रखा गया है। उन्होंने बताया कि फ्रांस का एक द्वीप ला रीयूनियन, मेडागास्कर के पूर्व में हिंद महासागर में है। अधिकारी ने बताया कि विभिन्न देश पक्षियों की आबादी पर नजर रखने और उनका अध्ययन करने के लिए विभिन्न रंग के टैग का उपयोग करते हैं।
कई देशों की यात्रा कर चुका है यह पक्षी
भोई ने बताया कि पक्षी निरीक्षकों द्वारा प्राप्त जानकारी के अनुसार इस विम्ब्रेल को पहली बार पिछले साल 16 नवंबर को रियूनियन द्वीप पर पकड़ा गया था, जहां यह अपना शीतकालीन या गैर-प्रजनन समय बिताता है। उसी दिन पक्षी को पीला टैग लगाया गया था। उन्होंने बताया कि इस साल सात मार्च को इसे दोबारा पकड़ लिया गया और जीपीएस टैग लगाया गया। यह पक्षी 22 मार्च तक रीयूनियन क्षेत्र में रहा। भोई ने बताया कि इसके बाद पक्षी ने मॉरीशस के लिए उड़ान भरी जो करीब 200 किलोमीटर की दूरी पर है। यह 13 अप्रैल को मॉरीशस से रवाना हुआ और उत्तर की ओर हिंद महासागर को पार कर चार मई को पाकिस्तान पहुंचा। यह सिंधु डेल्टा पर 10 दिनों तक रहा और फिर पूर्व की ओर उड़ गया।
बालाघाट से बेमेतरा पहुंचा
अधिकारी ने बताया कि यह पड़ोसी राज्य मध्य प्रदेश के बालाघाट पहुंचा और फिर छत्तीसगढ़ के बेमेतरा चला गया जहां इसे देखा गया। भोई ने कहा कि यह पक्षी अपने प्रजनन स्थलों की ओर वापसी की यात्रा पर है, जो उत्तरी साइबेरिया या उत्तरी एशिया में कहीं होना चाहिए। राजधानी रायपुर से लगभग 70 किलोमीटर दूर बेमेतरा जिले में स्थित गिधवा, परसदा, नगधा और एरमशाही गांवों के आसपास के क्षेत्र जलीय जैव विविधता और आर्द्रभूमि से भरे हुए हैं जो मौसमी प्रवासी पक्षियों और स्थानीय पक्षियों के लिए उपयुक्त आवास प्रदान करते हैं। अधिकारियों ने बताया कि पिछले अध्ययनों के दौरान 26 स्थानीय प्रवासी प्रजातियां, 11 विदेशी प्रवासी प्रजातियां और 106 स्थानीय निवासी प्रजातियों सहित पक्षियों की कुल 143 प्रजातियां वहां पाई गईं।